👉🏻 थाना अध्यक्षा सुनीता कुशवाहा ने बताया कि उन्हें गुंडागर्दी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है, मैंने गुंडागिरी खत्म करने के लिए अपने सेवाकाल में अगर मुझे गोलियां भी चलानी पड़ी तो बेहिज़क शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए करुंगी सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का कोई प्रयास करता है तो वह क्षमा योग्य नहीं है,ऐसी मानसिकता वाले लोग, गुंडे अपराधियों का समाज में कोई स्थान नहीं है,ऐसे लोगों का स्थान तो सिर्फ जेल ही है नीमगांव थाना क्षेत्र की सभी चौकी प्रभारी को सख़्त निर्देश दिए गए हैं कि गुंडे असामाजिक तत्व के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए जिससे आम जनता शांति और निर्भीकता से जीवन यापन कर सके उन्होंने कहा कि पुलिस की शक्ति आम जनता में दिखाई दी जानी चाहिए, लेकिन सख्ती दो तरह की होनी चाहिए एक उद्दंडता के साथ और एक विनम्रता के साथ विनम्रता के साथ की जाने वाली सख्ती लंबे समय तक चलती है और वह प्रभावी भी होती है।
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रक्षा बंधन पर ली गई छवि |
👉🏻 पुलिस में 24 घंटे 365 दिन निरंतर दिन-रात काम करने की क्षमता सरकारी विभागों में वर्क कल्चर पर बात करते हुए थाना अध्यक्षा सुनीता कुशवाहा कहती हैं कि विभागों में वर्क कल्चर अच्छा ही रहता है, लेकिन इस विषय से हटकर यह बात भी है कि पुलिस विभाग का कल्चर अन्य विभागों से काफी अलग है. क्योंकि पुलिस में 24 घंटे 365 दिन निरंतर दिन-रात काम करने की क्षमता है पुलिस की यह सेवा इस बात की खुशी भी देती है कि हम जनता की सेवा निरंतर करने के साथ ना केवल उनकी सुरक्षा करते हैं बल्कि उन्हें एक स्वच्छ वातावरण भी देते हैं,ताकि वह समाज में निर्भीक होकर अपना जीवन यापन करें।
परिवार और सामाजिक दायित्व से बढ़कर जनता की सेवा है थाना अध्यक्षा सुनीता कुशवाहा कहती हैं कि पुलिस की नौकरी में अवकाश मिलना बहुत बड़ी बात है पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के भी अपने परिवार हैं, और उनके कुछ सामाजिक दायित्व भी हैं. जिन्हें पूरा करना भी जरूरी रहता है, लेकिन परिवार और सामाजिक दायित्व से बढ़कर जनता की सेवा है,जिसे पूरा करने पर जो खुशी पुलिस को मिलती है, उसका कोई जवाब नहीं है,पहले पुलिस में अवकाश मिलना बहुत मुश्किल हो जाता था, लेकिन वर्तमान में वरिष्ठ अधिकारियों का अवकाश को लेकर पूरा सहयोग रहता है यह मानव स्वभाव भी है कि हर व्यक्ति अपने घर-बार, परिवार बच्चों के साथ कुछ समय व्यतीत करे, इसके साथ ही कुछ सामाजिक दायित्व भी होते हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए छुट्टियां भी लेनी पड़ती हैं।
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लेखक:- प्रांशु वर्मा वन्य जीव संरक्षण,आर्कियोलॉजिस्ट |
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